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    मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने सरकार को महिलाओं की सुरक्षा में फेल बताया

    जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है। राजेंद्र गुढ़ा ने शुक्रवार 21 जुलाई को विधानसभा में अपनी सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के मामलों की तुलना राजस्थान से करते हुए कहा कि राजस्थान में भी महिलाओं के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है। सरकार को मणिपुर के बजाय राजस्थान में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर ध्यान देना चाहिए। दूसरे राज्य के बजाय खुद के गिरेबान में झांकना चाहिए। गुढ़ा के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल को पत्र भेजकर राजेन्द्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त करने की अनुशंसा की। राज्यपाल ने गहलोत की अनुशंसा को स्वीकार कर लिया गया और गुढ़ा मंत्री मंडल से बर्खास्त कर दिए गए।

    राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी ही सरकार पर उठाए थे सवाल

    राजेंद्र गुढ़ा के पास सैनिक कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा, पंचायती राज और ग्रामीण विकास के लिए राज्य मंत्री का प्रभार था। मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के विरोध में सदन में कांग्रेस के विधायकों ने तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद न्यूनतम आय गारंटी बिल पर अपनी बात रखते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे। राजेंद्र गुढ़ा ने महिला अत्याचार के मामले को लेकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया। गुढ़ा ने कहा कि यह बात सही है कि राजस्थान में हम महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों को रोकने में विफल रहे हैं। हमें मणिपुर के बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

    राजेंद्र गुढ़ा के बयान को लेकर बीजेपी ने गहलोत पर बोला हमला

    राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने भी राजेंद्र गुढ़ा के वीडियो को ट्वीट कर गहलोत पर हमला बोला। उन्होंने कहा था कि राजस्थान में बहन-बेटियों के ऊपर हो रहे अत्याचारों व दुष्कर्म की असलियत स्वयं सरकार के मंंत्री राजेन्द्र गुढ़ा जी बता रहे हैं। संविधान के आर्टिकल 164(2) के अनुसार मंत्रिमंडल सामूहिक उत्तरदायित्व के आधार पर काम करता है। एक मंत्री का बयान पूरे मंत्रिमंडल यानी सरकार का माना जाता है।

     

    राजेंद्र राठौड़ ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, हमारी नहीं तो कम से कम अपने मंत्री के बयान पर तो संज्ञान लो। गृहमंत्री के रूप में लचर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी तो संभाल लो।

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